Shani Jayanti: ग्वालियर (नईदुनिया प्रतिनिधि) वैदिक ज्योतिष में शनि देव को न्याय और कर्म का कारक ग्रह माना गया है। वर्तमान में शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में गोचर कर रहे हैं। और 17 जून को अपनी राशि में वक्री हो जाएंगे। इसके बाद चार नवंबर को शनि मार्गी होंगे। आगामी 19 मई को जेठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती पर ग्रहों का बेहद शुभ संयोग बन रहा है। माना जा रहा है।

इन शुभ संयोग के बीच वट सावित्री व्रत के साथ शनि जन्मोत्सव पर पूजा पाठ करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होगी। और सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होगी। बता दें, पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाएं इस दिन वट सावित्री व्रत रख कर वटवृक्ष की पूजा करेंगी। इसके साथ ही शहर के सभी शनि मंदिरों पर शनि को प्रसन्न करने के लिए शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक कर प्रार्थना की जाएगी। ज्योतिषाचार्य डा़ सतीश सोनी के अनुसार वट सावित्री, शनि जयंती के दिन शनि स्वराशि कुंभ में रहकर राजयोग बनाएंगे। साथ ही इस दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में रहकर गजकेसरी राजयोग का निर्माण करेंगे। भरणी नक्षत्र एवं शोभान योग अपनी श्रेष्ठ स्थिति में होंगे। बृहस्पति का अधिपति शोभान योग 27 योगों में से एक प्रमुख योग की श्रेणी में आता है।

वट वृक्षा करेंगीं सुहागिन महिलाएं

सौभाग्यवती की कामना के साथ शुक्रवार को सुहागिन स्त्रियां वटवृक्ष की विधि-विदान के साथ पूजन करेंगीं। वटवृक्ष पर सूत्र का धागा लपेंटेंगीं और मीठे व नमकीन बरगुले का भी महत्व है। नव विवाहित दंपति गांठ बांधकर वटवृक्ष की पूजन करेंगे। महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठकर मंगल गीत गाएंगीं और परिवार की सुख समृद्धि की कामना करेंगीं।

शनि की कृपा पाने सरसों के तेल से करें अभिषेक

वर्तमान समय में कर्क राशि, वृश्चिक राशि पर शनि का ढैय्या है। कुंभ राशि, मकर राशि, मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि की विपरीत स्थिति महादशा, अंतर्दशा, शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या चल रही है। उन्हें शनि की प्रसन्नता के लिए सरसों के तेल से शनि जयंती पर अभिषेक कर काले तिल, लोहे की वस्तु, काली उड़द दाल आदि चीजें शनिदेव को अर्पित करना चाहिए। दशरथ कृत शनि स्रोत का पाठ करें। दिव्यांगों को प्रति शनिवार काले गुलाब जामुन खिलाएं। शिव तथा हनुमान जी की आराधना करें।

शनिदेव की पूजा करते समय यह ना करें

शनिदेव की पूजा करते समय मूर्ति के ठीक सामने खड़े ना हों और न ही उनकी आंखों के दर्शन करें। शनि पूजा के समय उनके चरणों की ओर देखने का विधान है। शनि देव की दृष्टि अशुभ है। इसलिए आंखों को देखकर पूजा नहीं करनी चाहिए।

शनि जयंती पर ऐंती में जुटेंगे श्रद्धालु

आज शुक्रवार को शनि जयंती पूरे देश में मनाई जाएगी। इस दौरान ऐंती गांव स्थित शनि मंदिर पर श्रद्धालुओं का मेला लगेगा। देशभर से हजारों श्रद्धालु शनि मंदिर पर पूजा-अर्चना के लिए पहुंचेगे।जिला प्रशासन ने भी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। गौरतलब है, कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ग्रहों के राजा सूर्य के पुत्र भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था। इस दिन विधिवत रूप से शनिदेव की पूजा करने और छाया दान करने से शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।ऐंती स्थित शनि मंदिर के पुजारी ने बताया, कि इस शनि जयंती के दिन गजकेसरी योग, शश योग और शोभन नामक महायोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। ज्योतिष शास्त्र में शनि जयंती के दिन इन शुभ योग राशि अनुसार कुछ ज्योतिषीय उपाय के बारे में बताया गया है। शनि जयंती के दिन राशि अनुसार उपाय करने से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि की महादशा के अशुभ प्रभाव में कमी आती है। शुक्रवार शनि जयंती के दिन लोग भगवान शनि का तेलाभिषेक करके साथ काली तिल, लोहा, काले कपड़े आदि चढ़ाएंगे।

Posted By: anil tomar

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