भोपाल, नवदुनिया प्रतिनिधि। शुक्रवार 27 जनवरी को यानी आज माघ शुक्ल षष्ठी तिथि है। हिंदू पंचांग के मुताबिक इस तिथि को शीतला माता की विशेष तौर पर पूजा करने का विधान है। इस दिन खासकर महिलाएं शीतला माता का व्रत रखती हैं। इस दिन रात का रखा बासी भोजन किया जाता है। माता शीतला को शीतल चीजें पसंद हैं इसलिए उन्हें भी ठंडा भोग ही लगाया जाता है।

व्रत का महत्व

मान्यता है कि इस व्रत को करने से दैहिक एवं दैविक ताप से मुक्ति मिलती है। मन को शांति प्राप्त होती है। शीतला माता की आराधना से घर में सुख-शांति बरकरार रहती है। यह भी मान्यता है कि यदि कोई महिला संतान प्राप्ति की कामना से यह व्रत रखते हुए माता शीतला की विधि-विधान से पूजा करे तो मां की कृपा से उसकी यह चाह पूरी होती है। रोग-विकार से मुक्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।

पूजा विधि

- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ठंडे पानी से स्नान करें। इस दिन गर्म चीजों से परहेज करना चाहिए। अस्तु गर्म पानी से न नहाएं।

- इसके उपरांत व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल पर चौकी बिछाकर उस पर सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर माता शीतला की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।

- देवी शीतला की मूर्ति पर जल चढ़ाएं और मौली, चंदन, अक्षत, वस्त्र, पुष्प आदि अर्पित करें

- 'श्रीं शीतलायै नमः, इहागच्छ इह तिष्ठ' मंत्र का जाप करते रहें।

- फिर शीतला देवी की कथा सुनें और देवी को एक दिन पहले रात में पूजा के लिए बनाए गए ठंडे भोग का नेवैद्य चढ़ाएं।

शीतला षष्ठी व्रत में ये सावधानियां रखें

- शीतला षष्ठी के व्रती गर्म खाद्य-पदार्थ का सेवन भूलकर भी न करें।

- शीतला षष्ठी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। अत: एक दिन पहले रात में ही सारा भोजन हलवा, गुलगुले, पुए, चावल आदि बनाकर रख लें।

डिसक्लेमर - इस लेख में दी गई जानकारी/ सामग्री/ गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ धार्मिक मान्यताओं/ धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें।

Posted By: Ravindra Soni

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