Somvati Amavasya 2021: हर महीने आने वाली पूर्णिमा का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। पंचांग के अनुसार एक माहर एक अमावस्या तिथि पड़ती है। ऐसे में कुल 12 अमावस्या साल में आती है। सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस वर्ष सोमवता अमावस्या के दिन वैधृति और विष्कंभ योग है। बता दें साल 2021 में एक ही सोमवती अमावस्या पड़ रही है। सोमवती अमावस्या के दिवस वैधृति योग दोपहर 2.28 मिनट तक रहेगा। इसके बाद विष्कुम्भ योग लगेगा। इस दिन रेवती नक्षत्र सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक है। जबकि चंद्रमा सुबह 11.30 बजे मीन राशि और फिर मेष में गोचर करेगा।
विष्कुम्भ योग
शास्त्रों में विष्कुम्भ योग को जहर से भरा हुआ घड़ा कहा गया है। जिस तरह विष के सेवन से सारे शरीर में धीरे-धीरे जहर भर जाता है। ठीक इस योग में किया गया कोई काम विष माना जाता है। इस योग में किए गए कार्य अशुभ फल देता है।
वैधृति योग
यह योग में कार्य करने हेतु सही है। लेकिन यात्रा करने से इस योग में बचना चाहिए।
सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 4.17 मिनट अप्रैल 13 से 5.02 बजे तक।
अभिजित मुहूर्त- 11.44 बजे ले 12.35 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- 2.17 मिनट से 3.07 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त- 6.18 बजे से 6.42 मिनट तक।
अमृत काल- 8.51 मिनट से 10.37 बजे तक।
निशिता मुहूर्त- 11.46 से 12.32 मिनट तक।
सोमवती अमावस्या अशुभ मुहूर्त
राहुकाल- 7.23 से 8.59 बजे तक।
यमगण्ड- 10.34 बजे 12.10 मिनट तक।
गुलिक काल- 1.45 मिनट से 3.20 बजे तक।
दुर्मुहूर्त- 12.35 से 1.26 बजे तक।
गण्ड मूल- पूरे दिन।
पंचक- 5.48 मिनट से 11.30 बजे तक।
महत्व
सोमवती अमावस्या के दिन उपवास रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस दिन पितरों को तर्पण किया जाता है। ऐसा करने से जातकों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल पेड़ की परिक्रमा करना शुभ होता है। कहा जाता है कि पीपल में भगवान का वास होता है। ऐसा करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
Posted By: Arvind Dubey
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