RIP Chetan Chauhan: पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने सबसे लंबे समय तक अपने सलामी जोड़ीदार रहे चेतन चौहान को श्रद्धांजलि दी, जिनका रविवार को मेदांता अस्पताल में किडनी के इलाज के दौरान निधन हो गया। गावस्कर और चौहान 1973 से 1981 तक टेस्ट क्रिकेट में भारत के सलामी जोड़ीदार के रूप में खेले थे।
सुनील गावस्कर ने चेतन चौहान को इमोशनल विदाई दी। उन्होंने लिखा, 'आजा, आजा, गले मिल, आखिर हम अपने जीवन के अनिवार्य ओवर खेल रहे हैं। पिछले दो या तीन साल में हम जब भी मिलते थे तो मेरा सलामी जोड़ीदार चेतन चौहान इसी तरह अभिवादन करता था। ये मुलाकातें उसके पसंदीदा फिरोजशाह कोटला मैदान पर होती थी जहां वह पिचप्रभारी था। जब हम गले मिलते थे तो मैं उसे कहता था नहीं, नहीं हमें एक और शतकीय साझेदारी करनी है। वह हंसता था और फिर कहता था, अरे बाबा, तुम शतक बनाते थे, मैं नहीं। मैंने कभी अपने बुरे सपने में भी नहीं सोचा था कि जीवन में अनिवार्य ओवरों को लेकर उसके शब्द इतनी जल्दी सच हो जाएंगे। यह विश्वास ही नहीं हो रहा कि जब अगली बार मैं दिल्ली जाऊंगा तो उसकी हंसी और मजाकिया छींटाकशी नहीं होगी।'
चेतन चौहान के दो बार टेस्ट शतक चूकने के लिए सुनील गावस्कर कुछ हद तक खुद को जिम्मेदार मानते हैं। दोनों बार ऐसा ऑस्ट्रेलिया में 1980-81 की सीरीज के दौरान हुआ। उन्होंने लिखा, 'एडिलेड में दूसरे टेस्ट में जब चेतन 97 रन बनाकर खेल रहा था तो टीम के मेरे साथी मुझे टीवी के सामने की कुर्सी से उठाकर खिलाड़ियों की बालकनी में ले गए और कहने लगे कि मुझे अपने जोड़ीदार की हौसला-अफजाई के लिए मौजूद रहना चाहिए। मैं बालकनी से खिलाड़ियों को खेलते हुए देखने को लेकर थोड़ा अंधविश्वासी था क्योंकि तब बल्लेबाज आउट हो जाता था और इसलिए मैं हमेशा मैच ड्रेसिंग रूम में टीवी पर देखता था। हालांकि, जब डेनिस लिली गेंदबाजी करने आया तो मैं एडिलेड में बालकनी में था और आप विश्वास नहीं करोगे कि चेतन पहली ही गेंद पर विकेट के पीछे कैच दे बैठा।'
दूसरा मौका तब आया जब अंपायर के खराब फैसले पर आउट दिए जाने के बाद मैदान से बाहर जाते हुए ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के अभद्र व्यवहार के बीच मैंने धैर्य खो दिया। चेतन चौहान को बाहर ले जाने के प्रयास से निश्चित तौर पर उसकी एकाग्रता भंग हुई होगी और कुछ देर बाद वह एक बार फिर शतक से चूक गया।
गावस्कर ने लिखा, 'एक चीज मेरी पीढ़ी और तुरंत बाद के कुछ खिलाड़ियों को नहीं पता होगी और वह थी उनके लिए कर छूट हासिल करने में चेतन चौहान का योगदान। हम दोनों सबसे पहले दिवंगत आर वेंकटरमण से मिले, जो उस समय देश के वित्त मंत्री थे और उनसे आग्रह किया कि भारत के लिए खेलने पर मिलने वाली फीस में कर छूट पर विचार किया जाए। मैं बता दूं कि यह सिर्फ क्रिकेट के लिए नहीं था, बल्कि भारत के लिए खेलने वाले सभी खिलाड़ियों के लिए था। वेंकटरमण जी ने इस पर विचार किया और अधिसूचना जारी की, जिसमें हमें टेस्ट मैच फीस पर 75 प्रतिशत की मानक कटौती मिली थी और फिर दौरे पर रवाना होने से पहले मिलने वाली दौरा फीस पर 50 प्रतिशत की छूट। यह अधिसूचना लगभग 1998 तक रही। मेरे संन्यास लेने के बाद मैं भारतीय टीम में जगह बनाने वाले नए खिलाड़ियों को अधिसूचना की प्रति देता था जिससे कि वे उसे अपने अकाउंटेंट को दे सकें।'
गावस्कर ने लिखा, चेतन हमेशा कहता था कि भारतीय क्रिकेट को हमारा सर्वश्रेष्ठ योगदान क्रिकेट जगत को कर में छूट दिलाना है। दूसरे की मदद करने की उसकी ख्वाहिश ने चेतन को राजनीति से जोड़ा और अंत तक वह देता ही रहा, कभी लिया नहीं। वह कमाल का मजाकिया इंसान था। जब हम खेल के सबसे खतरनाक गेंदबाजों का सामना करने उतरते थे तो उसका पसंदीदा गाना होता था मुस्कुरा लाडले मुस्कुरा। यह चुनौतियों का सामना करते हुए तनाव को कम करने का उसका तरीका था। अब मेरा जोड़ीदार जीवित नहीं है तो मैं कैसे मुस्कुरा सकता हूं? भगवान तुम्हारी आत्म को शांति दे, जोड़ीदार।'
Posted By: Kiran K Waikar
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