हिंदू धर्म में 7 चिरंजीवियों का उल्लेख पाया जाता है। मान्यता के मुताबिक, यह 7 चिरंजीवी आज भी धरती पर है। आइए जानते है 7 चिरंजीवियों के बारे में।
महाभारत में अश्वत्थामा अर्जुन के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। अश्वत्थामा द्वारा अभिमन्यू की पत्नी की कोख में पल रहे बच्चे के कोख पर ब्रह्मास्त्र छोड़ा था। इस चीज से क्रोधित होकर श्रीकृष्ण ने उसे पृथ्वी पर भटकते रहने का शाप दिया था।
प्रहलाद के वंशज राजा बलि ने भगवान विष्णु के अवतार वामनदेव को अपना सब कुछ दान में दे दिया था। इनकी दान करने की प्रवृत्ति देखकर भगवान विष्णु इनके द्वारपाल बन गए थे।
ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का संपादन करने वाले महर्षि वेद व्यास का पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन है। ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र वेद व्यास भी चिरंजीवी है।
मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जी आज भी धरती पर निवास करते है। अंजनी पुत्र को माता सीता ने आशीर्वाद दिया था कि वह अजर-अमर रहेंगे।
रावण के भाई और धर्म ज्ञानी विभीषण की गिनती भी चिरंजीवियों में होती है। विभीषण के लाख समझाने के बाद भी रावण ने श्रीराम से बैर किया। रावण के वध के बाद विभीषण लंका के राजा बने थे।
कृपाचार्य का उल्लेख महाभारत में पाया जाता है। परम तपस्वी ऋषि कृपाचार्य पांडव और कौरवों के गुरु थे, अपनी तपस्या के बल पर इन्हें भी चिरंजीवी माना जाता है।
परशुराम को भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। परशुराम का उल्लेख रामायण काल से लेकर महाभारत काल तक में पाया जाता है। आंठ चिरिंजीवयों में ऋषि मार्कंडेय का नाम भी आता है।
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