माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी व्रत रखा जाता है। आइए जानते है कब पड़ रहा है अचला सप्तमी व्रत और क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि?
मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत पर सूर्यदेव की पूजा की जाती है। इस दिन आदित्य 7 घोड़ो के रथ पर सवार होकर प्रकट हुए थे। इस व्रत को रखने से सुख-समृद्धि आती है।
शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 15 फरवरी को सुबह 10 बजकर 13 मिनट से शुरु होकर 16 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 बजे तक रहेगा।
16 फरवरी को सप्तमी तिथि का सूर्योदय होगा। ऐसे में इसी दिन अचला सप्तमी मनाई जाएगी। अचला सप्तमी को रथ सप्तमी भी कहते है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने का महत्व होता है।
अगर आप इस पर्व पर पवित्र नदी के जल का स्नान नहीं कर पा रहे है तो घर में नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर नहा लें। यह कार्य सुबह में शुभ मुहूर्त में ही कर लें।
सुबह में 5 बजकर 17 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक स्नान का शुभ मुहूर्त है। वहीं पूजा के लिए सुबह 08.23 से 11.11 बजे और दोपहर 12 बजकर 35 से 01 बजकर 59 बजे तक।
अचला सप्तमी के दिन जल्दी उठकर स्नान करने के बाद दीपक जलाएं और सूर्यदेव का मंत्र बोलें और दीपक को किसी पेड़ के नीचे रख दें। धूप, लाल फूल, अक्षत और कुमकुम से सूर्यदेव की आराधना करें।
व्रत से जुड़े नियमों का पालन करने से पूरा लाभ मिलता है। इसके बाद एक मटकी में गुड़, घी और तिल रखकर इसे किसी ब्राह्मण को दान कर दें।
नमस्ते रुद्ररूपाय रसानाम्पतये नमः, वरुणाय नमस्तेस्तु हरिवास नमोस्तु ते। यावज्जनम कृतं पापं मया जन्मसु सप्तसु। तन्मे रोगं च शोकं च माकरी हन्तु सप्तमी। जननी सर्वभूतानां सप्तमी सप्तसप्तिके। सर्वव्याधिहरे देवि नमस्ते रविमण्डले।
इस दिन अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए, इस पर्व पर यह पूजा विधि करने से अवश्य ही लाभ होगा। ऐसी ही धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ