अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। आइए जानते हैं शुभ फलों की प्राप्ति के लिए इस व्रत कथा का पढ़ना और सुनना क्यों जरूरी हैं?
अनंत चतुर्दशी इस साल 27 सितंबर को बुधवार के दिन शुरू हो रही हैं। इस दिन गणेश जी का विसर्जन भी किया जाता है। कई भक्त तो इस दिन व्रत भी रखते है।
कथा के अनुसार, एक गांव में बहुत समय पहले सुमंत नामक ब्राह्मण अपनी पत्नी दीक्षा के साथ रहते थे। उनकी एक पुत्री का नाम सुशीला था। एक दिन अचानक उनकी पत्नी का निधन हो गया।
सुमांत ने बेटी सुशीला की शादी कौण्डिन्य मुनि नामक ब्राह्मण से करवा दी। लेकिन सुशीला और उसके पति की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहती थी। ऐसे में एक दिन जंगल से गुजरते हुए सुशीला ने नदी के पास महिलाओं को पूजा करते देखा।
सुशीला ने नदी के पास पूजा कर रही महिलाओं से पूछा। तब महिलाओं ने उसे बताया कि वह अनंत चतुर्दशी का व्रत कर रही है। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और कष्ट दूर होते है।
सुशीला ने भी अनंत चतुर्दशी का व्रत प्रारंभ कर दिया। धीरे-धीरे सुशीला की आर्थिक स्थिति में सुधार भी आने लगा था। लेकिन एक दिन उसके पति ने गुस्से में सुशीला के हाथ में बंधा अनंत सूत्र तोड़ दिया। इसके बाद फिर से उन्हें दुख का सामना करना पड़ा।
इसके पश्चात सुशीला और कौण्डिन्य मुनि ने भगवान विष्णु से क्षमा-प्रार्थना की। लंबी तपस्या के बाद भगवान विष्णु बूढ़े ब्राह्मण के रूप में धरती पर प्रकट हुए और मुनि को इस व्रत के बारे में बताया।
इस व्रत का प्रभाव जानकर सुशीला और उसके पति कौण्डिन्य मुनि ने इस व्रत को रखा और उनके जीवन में फिर से खुशियां आ गई। अनंत चतुर्दशी हर साल भाद्रपद माह के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है।