महाभारत के युद्ध में कौरवों और पांडवों की सेना में कई सारे शूरवीर थे। आइए जानते है अर्जुन और दुर्योधन में कौन था अधिक बलशाली?
कुरुक्षेत्र के रण में कई शूरवीर योद्धा लड़े थे। इस युद्ध में पांडवों की विजय और कौरवों की पराजय हुई थी। लेकिन युद्ध इतना भीषण था कि दावे के अनुसार, आज भी कुरुक्षेत्र की मिट्टी लाल है।
पांडू पुत्र अर्जुन की गिनती महाभारत के सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं में होती थी। उन्होंने अपने पराक्रम से कई सारे युद्ध में विजय प्राप्त की थी।
महाभारत में अर्जुन ने अपने पराक्रम से बड़े से बड़े योद्धा को हराया था। युद्धभूमि में अर्जुन ने अपने पराक्रम से कर्ण जैसे योद्धा को भी मृत्यु के घाट उतारा था।
गुरु द्रोणाचार्य से अर्जुन ने धनुर्विद्या सीखी थी। अर्जुन विश्व के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी थे। धनुर्विद्या में उनके सामने कर्ण के अलावा कोई भी टिक नहीं पाता था।
दुर्योधन शुरू से ही अधर्मी, मूर्ख और जिद्दी था। उसने हमेशा गलत मार्ग पकड़ा और अंत में उसका अंत भी उसके कर्मों के फल के रूप में हुआ था। वह पूरे जीवन अपने मामा शकुनि के दिखाए गलत रास्ते पर चला था।
धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन ने भी गुरु द्रोणाचार्य से ही विद्या ग्रहण की थी, लेकिन श्री कृष्ण के भ्राता बलराम ने भी दुर्योधन को श्रेष्ठ गदाधारी बनने का प्रशिक्षण दिया था। जहां अर्जुन धनुर विद्या के ज्ञानी थे, वहीं दुर्योधन का गदा युद्ध में निपुण थे।
अर्जुन के लिए दुर्योधन को पराजित करना ज्यादा मुश्किल नहीं था। लेकिन भीम ने यह शपथ ली थी कि वह सभी 100 धृतराष्ट्र पुत्रों का वध करेंगे। ऐसे में दुर्योधन का अंत भीम के हाथों ही हुआ था।