रक्षा सूत्र को कलावा भी कहा जाता है। मंदिर में अक्सर पुजारी सभी के हाथ पर धागा बांधते हैं, लेकिन बेहद कम लोग कलावा बंधवाने के भी नियमों का ध्यान रखते हैं।
कलावा बंधवाने के दौरान सबसे ज्यादा महत्व हाथ का होता है। कन्याओं को दाएं हाथ की कलाई पर ही कलावा बंधवाना चाहिए।
शादीशुदा महिलाओं को अपने बाएं हाथ में ही कलावा बंधवाना चाहिए। यदि आप दूसरी कलाई पर धागा बंधवाती हैं तो उसका कोई लाभ नहीं मिलेगा।
धागा बंधवाने के लिए पुरुषों को अपने दाएं हाथ को ही आगे करना चाहिए। मान्यता के अनुसार, आदमी के बाएं हाथ में कलावा बांधना अशुभ होता है।
हथेली पर कलावा बंधवाते समय मुट्ठी को बंद रखना भी जरूरी होता है। अक्सर धागा बांधने वाले पुजारी भी मुट्ठी बंद करने की सलाह देते हैं।
कलावा बंधवाते समय व्यक्ति का दूसरा हाथ उसके सिर पर होना चाहिए। यदि आप चाहे तो सिर को कपड़े या रुमाल से ढक कर भी धागा बंधवा सकते हैं।
हाथ पर मौली या कलावा किसी भी जगह पर बंधवाए हमेशा इसे तीन बार ही लपेटें। इससे कम या ज्यादा बार धागे को लपेटना सही नहीं माना जाता है।
यहां दी गई जानकारी सामान्य और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इसके जरिए हमारी तरफ से किसी भी तरह का कोई दावा नहीं किया जा रहा है।
कलावा बांधने के नियमों को लेकर यहां हमने बात की। ऐसी ही अन्य धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ