सनातन धर्म में व्रत और तिथि को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते है नवरात्रि पर किस मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए।
अष्टमी और नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन का विधान होता है। कन्या पूजन के बिना मां भवानी के पूजा अधूरी मानी जाती है। नवरात्रि के 9 दिन माता के अलग-अलग रूपों की पूजा करनी चाहिए।
इस दिन व्रत रखने वाले जातक छोटी बच्चियों का भोजन कराने के बाद अपना व्रत खोलते हैं। कन्या को भोजन कराने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक है। दोपहर में 1 बजकर 30 मिनट 2 बजकर 55 मिनट तक शुभ मुहूर्त है।
महानवमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 तक रहेगा। वहीं दोपहर का शुभ मुहूर्त 1.30 मिनट से 2.55 मिनट तक रहेगा।
नवरात्रि में कन्या पूजन का खास महत्व होता है। दो साल की कन्या को कौमारी कहते है और इनकी पूजा करने से दरिद्रता भी दूर होती है।
तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति कहते है। इनकी पूजा करने से परिवार में सुख-शांति की कमी नहीं होती है। 8 वर्ष की कन्या को शांभवती कहते है। इनकी पूजा करने से लोकप्रियता बढ़ती है।
नौ वर्ष की बच्ची दुर्गा कहलाती है और इनकी पूजा से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है और कार्य सिद्ध होते हैं। वहीं दस वर्ष की लड़की सुभद्रा होती है। इनकी पूजा से मनोकामना पूर्ण होती है।
अगर आपको कन्या पूजन से जुड़ी ये स्टोरी जानकारीपूर्ण लगी तो ऐसी ही धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें naidunia.com