चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि के पूजा का विधान है। आइए जानते है नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की कैसे पूजा करनी चाहिए?
मां कालरात्रि को सभी नौ देवियों में सबसे मजबूत माना जाता है। मान्यता के अनुसार, देवी पार्वती को तब जाना गया, जब उन्होंने शुंभ और निशुंभ को हराने के बाद सुनहरी त्वचा को त्याग दिया।
कालरात्रि शब्द का अर्थ असुरों का विनाश करने वाली माता के रूप में होता है।मां कालरात्रि का पूजन करने से शत्रुओं पर विजय में मदद मिलती है।
सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में प्रात: स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए। मंदिर या पूजा की जगह को साफ करें और मां के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
मां कालरात्रि की पूजा के दौरान पांच प्रकार के फूल, पंच मेवा, मिष्ठान, धूप, अक्षत, गंध, पुष्प, गुड़ और नैवेद्य आदि का अर्पण करना चाहिए।
मां की विधिवत पूजा के बाद आऱती करनी चाहिए। माता की पूजा के दौरान, दुर्गा सप्तशी और दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। चंदन या रुद्राक्ष की माला से मंत्र का जाप करें।
मां कालरात्रि की विधिवत पूजा-अर्चना और आरती के बाद क्षमा-प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए। पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना करने से मां अपने भक्तों की सभी गलतियों को माफ करती है।
मां कालरात्रि के सिद्धि मंत्र 'ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:। का जाप करने से शत्रुओं से लड़ने की शक्ति मिलती है।
अगर आपको मां कालरात्रि की पूजा से जुड़ी ये स्टोरी जानकारीपूर्ण लगी तो ऐसी ही धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें naidunia.com