चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष देवशयनी एकादशी के दिन से होता है। शास्त्रों के अनुसार इस समय में सारे मांगलिक कार्यक्रम बंद हो जाते हैं। अगर कोई मांगलिक कार्यक्रम करता है, तो इसका शुभ फल नहीं मिलता। आइए जानते हैं कि जुलाई में कब से बंद हो रहे हैं मांगलिक कार्यक्रम
चातुर्मास को चौमासा भी कहा जाता है। इसमें भगवान श्री हरि योग निद्रा में होते हैं और सृष्टि का नियंत्रण भगवान शिव के हाथों में होता है।
जुलाई के 17 तारीख से चातुर्मास शुरू हो रहा है। इसका समापन 12 नवंबर को होगा। चातुर्मास में किसी प्रकार के मांगलिक कार्यक्रम नहीं किए जाते हैं।
चातुर्मास के दौरान सूर्य दक्षिणायन में स्थित होते हैं। इस अवधि में किए गए मांगलिक कार्यों पर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त नहीं होती है। इसलिए, इस समय के दौरान शादी-विवाह और अन्य महत्वपूर्ण संस्कारों को करने की मनाही होती है।
इस दिन से सृष्टि को चलाने का सारा काम भगवान विष्णु के कंधों से हट जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु इन चार महीनों के लिए पाताल लोक चले जाते हैं।
चातुर्मास के दौरान तुलसी पूजा करना फलदायी माना जाता है। रोजाना शाम के समय में तुलसी के पास घी का दीया जलाएं और साथ ही जमीन पर बिस्तर लगाकर सोएं।
चातुर्मास के दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। इसलिए, इस दौरान भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कार्यों में सफलता मिलती है।
इसलिए जुलाई में मांगलिक कार्यक्रम बंद हो जाते हैं । एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM