दिवाली के 15 दिनों बाद देवों की दीपावली होती है। इस दिन एकादशी के दिन यह त्योहार मनाया जाता हैं। आइए जानते हैं देव दीपावली पर कैसे करें पूजा और इसका महत्व?
देवोत्थान एकादशी हर साल की तरह इस साल भी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाएं जाने वाली है। देवोत्थान एकादशी को देव उठनी एकादशी भी कहती है।
देवउठनी एकादशी पर माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस पूजा से देवों को भी जगाया जाता है। एकादशी के इस पर्व पर श्री हरि विष्णु 4 महीने की निद्रा से जागते है।
भगवान विष्णु के उठने के साथ ही शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। इसी दिन तुलसी मां, शालिग्राम से विवाह करती है। इस दिन विधि विधान से तुलसी विवाह कराना काफी लाभकारी होता है।
23 नवंबर 2023 को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु को जगाया जाता हैं, इसीलिए इस पर्व को देवउठनी एकादशी भी कहते है।
कार्तिक माह के पूर्णिमा तिथि पर भोले बाबा ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस को मारा था। इस दिन पर सभी देवताओं ने जश्न मनाया था। इसी वजह से दिवाली के 15 दिन बाद धूमधाम से देव दीपावली मनाई जाती है।
देव दीपावली के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल अवश्य मिला लें। इस दिन नदियों में दान, स्नान और दीपदान करने का भी खासा महत्व होता है।
देवउठनी एकादशी वाले दिन सुबह और प्रदोष काल दोनों टाइम पूजा करनी चाहिए। पूजा के लिए कुमकुम, चंदन, अक्षत, सुपारी, मौली, जनेऊ, दूर्वा, हल्दी, फूल, फल और नैवेद्य चढ़ाएं। साथ ही, धूप-दीप जलाकर आरती भी करें।