अंधकार पर प्रकाश डालकर विजय की राह दिखाने वाली पर्व दिवाली आने वाली है। ज्योतों का यह त्योहार इस वर्ष 12 नवंबर 2023 को मनाया जाएगा।
ऐसी मान्यता है कि हरेक घर में मां लक्ष्मी की स्वागत और प्रभु श्री राम के आगमन के शुभ अवसर पर यह पर्व मनाया जाता है।
दिवाली के मौके पर मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं। शास्त्रों में यह बताया गया है कि धनतेरस पर 3 दीपक जीवन के तमाम संकट दूर करते हैं।
धनतेरस के मौके पर पहला दीपक यम के नाम का जलाया जाता है जिसका महत्व कई मायनों में काफी ज्यादा होता है।
धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में उत्तम है। इस दिन शाम को घर के बाहर 13 दीपक जलाने से मुख्य द्वार पर दो और बाकी आंगन में जलाएं।
धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में उत्तम है। इस दिन शाम को घर के बाहर 13 दीपक जलाने से मुख्य द्वार पर दो और बाकी आंगन में जलाएं।
ये सारे दीपक नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश को रोकते हैं। शास्त्रों के मुताबिक यम के नियमित दीपक परिवार के सदस्यों के सोते समय जलाने का विधान है।
इसके लिए पुराना दीपक लें और सरसों के तेल से दीप प्रज्वलित करें। अब दीपक को घर से बाहर कूड़े के ढेर या नाली के पास दक्षिण दिशा की ओर करके रख दें।
दक्षिण की दिशा यम की मानी जाती है। दिया रखते समय मंत्र जाप करें। ऐसी मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है और नर्क की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती है।