अर्धकुंभ और महाकुंभ में क्या अंतर होता है?


By Ram Janam Chauhan14, Dec 2024 04:26 PMnaidunia.com

अगले साल 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ मेले का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में कई लोगों को अर्धकुंभ और महाकुंभ को एक मानते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग हैं।

आयोजन करने का समय

अर्धकुंभ मेले का आयोजन हर 6 साल में एक बार किया जाता है, जबकि महाकुंभ मेले का आयोजन 12 साल में एक बार होता है।

कब होता है अर्धकुंभ

अर्धकुंभ मेले को बृहस्पति और सूर्य के विशेष योग बनने पर आयोजन किया जाता है और महाकुंभ को बृहस्पति ग्रह जब एक विशेष राशि में प्रवेश करता है, तब किया जाता है।

इन स्थानों पर आयोजन

अर्धकुंभ मेले को सिर्फ हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजन किया जाता है, जबकि महाकुंभ मेले को चारों तीर्थ स्थलों पर किया जाता है।

धार्मिक महत्व में अंतर

अर्धकुंभ मेले को छोटा माना जाता है और इसमें स्नान करने का अवसर भक्तों को मिलता है, लेकिन महाकुंभ मेले को बड़े स्तर पर आयोजित किया जाता है।

भक्तों की संख्या में अंतर

अर्धकुंभ मेले में श्रद्धालुओं की संख्या कम रहती है, जबकि महाकुंभ मेले में भक्तों की संख्या करोड़ों में हो सकती है।

प्राचीनकाल से महत्व

अर्धकुंभ मेले को महाकुंभ मेला का हिस्सा माना जाता है, जबकि महाकुंभ मेले का प्राचीनकाल से ही महत्व है।

आध्यत्मिक महत्व

अर्धकुंभ में पुण्य मिलता है, जबकि महाकुंभ मेले में मोक्ष की प्राप्ति और पापों से मुक्ति मिल सकती है।

अर्धकुंभ और महकुंभ मेले में मुख्य यही अंतर होता है। यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए दी गई है, ऐसी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें naidunia.com

नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए लगाएं इस 1 फूल का तोरण