धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास भगवान विष्णु का सबसे प्रिय महीना माना जाता है। आइए जानते है कार्तिक माह में किस समय में तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और इससे क्या नुकसान होता है?
इस माह में श्री हरि की उपासना करने से कई लाभ मिलते है। इस मास में तुलसी मां की पूजा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कार्तिक मास में पवित्र नदी में स्नान करने का भी विशेष महत्व होता है। स्नान और दान करना भी बेहद पुण्यदायी होता है। शुभ फलों की प्राप्ति के लिए तुलसी पूजा के नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है।
स्नान किए बिना तुलसी के पत्तों को स्पर्श नहीं करना चाहिए। तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है। ऐसे में बिना स्नान उन्हें नहीं छूना चाहिए।
शाम के बाद तुलसी के पत्तों को तोड़ने से मां लक्ष्मी रूठ जाती है। मां लक्ष्मी अगर नाराज हो जाएं तो व्यक्ति को पाई पाई के लिए तरसा सकती हैं।
मान्यता के मुताबिक, तुलसी के पत्ते को शाम या रात के समय इसलिए भी नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि इस पौधे की माता राधा का भी रूप माना जाता है। शाम के समय वे कृष्ण जी के साथ रास रचाती है। इस दौरान पौधे का स्पर्श वर्जित माना जाता हैं।
तुलसी के पूजन के दौरान ओम नमो भगवते नारायण मंत्र का जाप करना चाहिए। पूजा के साथ इस मंत्र का जाप करने से धन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती है।
कार्तिक मास में तुलसी विवाह भी किया जाता है। तुलसी पर सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ी, सिंदूर, बिक्षिया, समेत अन्य सामग्री अर्पित करना चाहिए। लाल चुनरी चढ़ाने से पति-पत्नी के रिश्तों पर शुभ असर पड़ता हैं।