गुरु पूर्णिमा 03 जुलाई सोमवार को है। अच्छा गुरु और कुंडली में मजबूत बृहस्पति न हो तो व्यक्ति की उन्नति संभव नहीं है, वह चाहे बिजनेस हो या नौकरी।
गुरु पूर्णिमा पर गुरुजनों का आदर-सम्मान करते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा को वेद व्याजी का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहते हैं।
गुरु पूर्णिमा प्रारंभ: 2 जुलाई, रविवार, रात 08 बजकर 21 मिनट से गुरु पूर्णिमा की तिथि का समापन 03 जुलाई, सोमवार, शाम 05 बजकर 08 मिनट पर। शुभ् मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:57 बजे से दोपहर 12:53 बजे तक।
जीवन में अच्छा गुरु और कुंडली में मजबूत बृहस्पति न हो तो व्यक्ति की उन्नति संभव नहीं है। गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। विष्णु कृपा से मनोकामना पूर्ण होगी।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने पूजा घर में गुरु यंत्र की स्थापना करके पूजन करें। उसके बाद हर गुरुवार को विधिपूर्वक पूजा करें। इससे आपके जीवन में गुरु ग्रह का सकारात्मक प्रभाव बढ़ेगा।
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के पास जाएं। उनको प्रणाम करके घर पर भोजन के लिए आमंत्रित करें। भोजन, आदर-सत्कार आदि करने के बाद उनका आशीर्वाद लें। गुरु कृपा से बृहस्पति का दोष दूर होगा।
गुरु पूर्णिमा पर करियर में उन्नति के लिए पीले वस्त्र, पीली दाल, केसर, घी, पीतल, पीले रंग की मिठाई आदि का दान कर सकते हैं।
गुरु पूर्णिमा को घर के ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा को साफ करें। हल्दी और पानी डालकर लेप कर दें। घी के दीपक जलाएं। ईशान कोण का संबंध देव गुरु बृहस्पति से होता है। इससे घर में सुख, समृद्धि आती हैं।