भगवान राम धनुष धारी थे और उन्होंने धनुष से चलाए बाण से रावण जैसे बलशाली का वध किया था। इसलिए रामकथा में उनके धनुष का जिक्र होता है।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के धनुष का नाम कोदंड था। यही कारण है कि भगवान राम को कोदंड नाम से भी जाना जाता था। कोदंड का अर्थ बांस से निर्मित होता है।
माना जाता है कि भगवान श्री राम के पास 5.5 हाथ लंबा धनुष था। इस धनुष को देवता धनुष भी कहा जाता था क्योंकि इसे जब भी छोड़ा जाता था, वो कभी विफल नहीं होता था।
कोदंड धनुष से छोड़ा गया हमेशा लक्ष्य प्राप्त करता था। इसी धनुष की मदद से भगवान राम ने लंका जाने के लिए समुद्र पर तीर छोड़े और उसके पानी को सुखा दिया था।
राक्षसों का वध करते वक्त भी इस धनुष बाण ने प्रभु राम की बहुत मदद की। इसलिए इस चमत्कारी धनुष के नाम से भारत में एक मंदिर भी बना हुआ है।
सीता स्वयंबर में भगवान राम ने जिस धनुष को तोड़ा था। वह शिव का पिनाक धनुष था। कहा जाता है कि रावण ने इस धनुष को शिवजी से प्राप्त किया था। लेकिन वह इसे धारण नहीं कर पाया।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक रावण के पास भी एक धनुष था जिसका नाम पौलत्स्य था। इसी धनुष से रावण ने युद्ध में भगवान राम पर बाण चलाए थे।