मन और आत्मा की शांति के लिए रोज पूजा की जाती है। सच्चे मन से भगवान को याद करने से साथ पूजा के इन नियमों का पालन करने से भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं -
पूजा करते समय कभी भी जमीन पर नहीं बैठना चाहिए। सीधे जमीन पर बैठकर पूजा करना अशुभ माना जाता है। हर पूजा के लिए अलग तरह के आसन का प्रयोग करें।
पूजा करते समय या फिर मंत्रों का जाप करने से शरीर की ऊर्जा बढ़ने लगती है। ऐसे में सीधे जमीन पर बैठने से वह ऊर्जा जमीन में चली जाती है।
पूजा के दौरान घर में कंबल या ऊनी आसन पर बैठकर ही पूजा करना चाहिए। इस तरह के आसन पर बैठकर मंत्रों का उच्चारण करना भी शुभ होता है।
लाल रंग के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी, पवन पुत्र हनुमान और देवी दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।
मंत्रों का जाप करने के लिए आप कुशा के आसन का ही इस्तेमाल करें। इससे मन एकाग्र रहेगा और आपको मानसिक शांति की भी अनुभूति होगी।
श्राद्ध कर्म में गुजरा का आसन इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह की पूजा के लिए यह आसन श्रेष्ठ माना जाता है। भूलकर भी श्राद्ध कर्म में कुशा के आसन का प्रयोग न करें।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस आसन पर बैठकर आप पूजा यह मंत्रों का जाप करते हैं उस आसन का प्रयोग किसी दूसरे को नहीं करना चाहिए।
जिस आसन पर बैठकर रोजाना पूजा या मंत्रों का जाप करते हैं उसका इस्तेमाल किसी दूसरे कार्य के लिए न करें जैसे भोजन आदि।