अर्जुन को दुर्योधन ने क्यों दिए थे इतने तीर?


By Prakhar Pandey14, Feb 2024 03:03 PMnaidunia.com

अर्जुन और दुर्योधन

अर्जुन और दुर्योधन के बीच पारिवारिक तौर पर भाई का रिश्ता था। लेकिन आगे चलकर ग्रह युद्ध के चलते महाभारत हुई थी। आइए जानते दुर्योधन ने अर्जुन को क्यों तीर दिए थे?

भाई का रिश्ता

धृतराष्ट्र पुत्र दुर्योधन अपने बड़े पिता पांडू के पुत्र अर्जुन के बड़े भाई थे। दुर्योधन समेत कौरवों और पांडवों में बचपन से ही रिश्ते खराब रहे थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अर्जुन ने दुर्योधन की रक्षा क्यों की थी।

दुर्योधन की जान

अर्जुन ने एक बार दुर्योधन के प्राणों की रक्षा की थी। इसके बदले में अर्जुन ने दुर्योधन से तीन तीर मांगे थे। पांडवों के वनवास के समय दुर्योधन उनके यज्ञ में सम्मिलित होने पहुंचा था।

यज्ञ में बाधा

दुर्योधन ने पांडवों के यज्ञ में लगातार बाधाएं उत्पन्न कर रहे थे। ऐसे में अर्जुन के प्रार्थना करने पर इंद्रदेव ने स्वयं ही उस यज्ञ पर अपनी दृष्टि रखी।

गंधर्व और इंद्रदेव

इंद्रदेव ने जब पाया की दुर्योधन अपनी कुटिलता से यज्ञ में बाधा डालने का प्रयास कर रहा है तो उन्होंने गंधर्व को भेजा। गंधर्व के रोकने पर भी दुर्योधन नहीं रूका।

इंद्रदेव का दंड

दुर्योधन और गंधर्व के बीच हुए युद्ध में गंधर्व दुर्योधन को बंदी बनाकर स्वर्ग ले आएं थे। पांडवों में ज्येष्ठ युधिष्ठिर ने दुर्योधन को छुड़ाने के लिए तुरंत अर्जुन को भेजा।

दंड से बचाव

अर्जुन ने इंद्रलोक जाकर दुर्योधन को दंडित होने से तो बचा लिया परंतु उनसे तीन तीरों का वरदान मांगा था। दुर्योधन को यह मांग बहुत छोटी लगी, इसलिए वह तुरंत इसके लिए मान गए।

कहां हुआ 3 तीर का उपयोग?

तीन तीरों के साथ ही अर्जुन ने दुर्योधन से यह वचन भी ले लिया था कि अगर कभी भी पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध होता है तो पांडवों पर भारी पड़ने वाले तीन महारथियों पर अर्जुन इस तीर का उपयोग करेंगे।

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