सनातन धर्म के मुताबिक ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, रोग, दीनभाव, द्वेषभाव, के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है । यदि भोजन बचता नहीं है तो कई तरह की बीमारियां पैदा होती हैं।
सनातन धर्म के मुताबिक आधा खाया हुआ फल, मिठाईया आदि पुनः नहीं खानी चाहिए । क्योंकि आधा खाया हुआ फल व भोजन दूषित माना जाता है। दूषित भोजन से बीमारियां हो सकती हैं।
सनातन धर्म के अनुसार बीच में खाना छोड़ कर नहीं उठना चाहिए। यदि बीच में खाना से उठ भी जाते हैं तो दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए । इससे पेट में अपच हो सकती है।
सनातन धर्म के मुताबिक भोजन करते समय मौन रहें और खाना खाएं। खाना खाने के दौरान ध्यान खाने पर ही होना चाहिए।
सनातन धर्म और डॉक्टरों के अनुसार भी भोजन को चबा चबाकर खाना चाहिए। इससे आंतों पर खाने को पचाने पर अधिक लोड नहीं पड़ता। इससे भोजन आसानी से पच जाता है।
शास्त्रों के मुताबिक रात के समय भरपेट न खाएं और अधिक गरिष्ठ भोजन न करें। क्याेंकि रात में अधिक खाना खाने से भोजन पच नहीं पाता। इससे कई तरह की परेशानी हो सकती हैं।