गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 30 नवंबर को गुरुवार के दिन यानी आज मनाई जा रही है। आइए जानते है कि स्तोत्र के पाठ से आप बप्पा को प्रसन्न कर सकते है?
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती हैं। इस पर्व पर गणपति बप्पा की पूजा का खास महत्व होता है।
धार्मिक शास्त्रों में भी इस दिन व्रत और पूजन करने का खास महत्व बताया गया है। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन की सभी विघ्न और परेशानियां दूर हो जाती है।
भगवान गणेश की पूजा करने से कष्ट तो दूर होता ही है। साथ ही, सुख-समृद्धि और धन-संपदा में भी बढ़ोतरी भी होती है। इस दिन संकट नाशन स्तोत्र का जाप करने से बप्पा की कृपा प्राप्त होती है।
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥ ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥ ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् । भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुः कामार्थसिद्धये ।। प्रथमं वक्रतुडं च एकदन्तं द्वितीयकम् । तृतीयं कृष्णपिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।। लम्बोदरं पंचमं च षष्ठ विकटमेव च । सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः । न च विध्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ।। विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
जपेग्दणपतिस्तोत्रं षड् भिर्मासैः फ़लं लभेत् । संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः ।। अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत् । तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ।।