भयभीत और आशंकित होता है रोगी नुकसान होने के डर रहता है। परिजन, मित्र दुश्मन नजर आते हैं। अकेले मुस्कुराना, बड़बड़ाना, चिल्लाने और गाली देता है।
रोगी अत्याधिक प्रसन्न होकर बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाता है और बहुत जल्दी एक बड़ा आदमी बनने का प्रयास करने लगता है।
विश्व में 25 प्रतिशत महिलाएं एवं 15 प्रतिशत पुरुष डिप्रेशन के शिकार होते हैं। आत्महत्या करने वालों में 50 प्रतिशत से ज्यादा इस बीमारी से पीड़ित होते हैं।
तनाव क्षणिक होते हैं। दिनचर्या बाधित होने से मांसपेशियों में तीव्र तनाव, दर्द व ऐंठन, हृदयगति कभी अत्यधिक तीव्र तो कभी मंद होना, एकाग्रता में कमी होती है।
मरीज के मन में कई प्रकार के असंगत विचार आते हैं। जिनके कारण वह कुछ कार्य करने के लिए बाघ्य हो जाता है।
उम्र के साथ मानसिक एवं शारीरिक विकास के कारण बदलाव आते हैं। कुछ व्यवहार जो एक आयु में सामान्य होते हैं उम्र बढ़ने पर असामान्य हो सकते हैं।
किसी भी प्रकार के नशे से व्यक्ति दैनिक जिम्मेदारी को सफलता से पूर्ण नहीं करता है । उसकी सोच एवं व्यवहार नशे की वस्तु से प्रभावित रहती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्वास्थ्य की परिभाषा में व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक बताया गया है।
स्वस्थ खानपान रख, खाना हमारे शरीर में अच्छी तरह काम करता है। खाने से ही पौषक तत्व मिलते हैं जो कि शरीर को कार्य करने में मदद करते हैं ऊर्जा देते हैं।
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