Health Tips : ब्रम्हवृक्ष पलाश के अनगिनत गुण जानकर हो जाएंगे स्तब्ध
By Dheeraj Bajpai2023-03-03, 09:50 ISTnaidunia.com
पलाश के फूल
मुत्रसंबंधी विकारों में पलाश-पुष्प का काढ़ा मिश्री मिलाकर पिलाएं | रतौंधी की शुरुआती अवस्था में फूलों का रस आंखों में डालने से लाभ होता है |
पलाश के बीज
तीन से छह ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जाएंगे।
पलाश के पत्ते
पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है। बवासीर में पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खाएं।
पलाश की छाल
नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलाएं |
पलाश का गोंद
पलाश का एक से तीन ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आंवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियां मजबूत बनती हैं | गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है।
पलाश के कई नाम
पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसुडा कहते हैं | इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चांदी पात्र में भोजन तुल्य लाभ मिलते हैं |
लिंग पुराण में दावा
‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा 10000 आहुतियांं दें तो सभी रोगों का शमन होता है |
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