सामान्य दिनों की अपेक्षा सर्दी के दिनों में हृदयाघात से संबंधित मामले 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं।
बीमारियों के मामले में मोटापे में भारत दुनिया में तीसरे और मधुमेह में दूसरे पायदान पर आ गया है।
देश में रक्तचाप के मरीज भी बढ़े हैं। इन कारणों से भारत में हृदयरोग के मरीज भी बढ़ रहे हैं।
ठंड के दिनों में नसें सिकुड़ जाती हैं, रक्त गाढ़ा हो जाता है, कोलेस्ट्राल की मात्रा बढ़ जाती है।
ऐसे में रक्त का थक्का जमाने वाले तत्व भी बढ़ जाते हैं। इस वजह से हृदयघात के मामले भी अधिक हो जाते हैं।
वंशानुगत कारण भी हार्ट अटैक की वजह हो सकती है। वर्तमान में युवा भी हृदयघात की चपेट में आ रहे हैं।
इसकी वजह वंशानुगत के साथ ही रक्तचाप, धूम्रपान, तनाव भी है। सर्दी के मौसम में हृदय का ध्यान रखना और भी ज्यादा जरूरी है।