वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति या योग शादी में बाधा का कारण बनते हैं। चलिए जानते हैं कि विवाह में देरी के लिए कौन-कौन से ग्रह जिम्मेदार हैं।
मंगल ग्रह का पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में होना शुभ नहीं माना जाता है। इससे शादी में बाधा उत्पन्न होती है।
शनि ग्रह का विवाह भाव या इंसान के ऊपर बुरा प्रभाव डालने से शादी में देरी होती है। इससे बचने के लिए शनि ग्रह को मजबूत करने के उपाय करें।
कुंडली में राहु और केतु जैसे पापी ग्रहों की अशुभ स्थिति होने पर भी विवाह में रुकावट आती है। माना जाता है कि उससे शादी की अड़चनें दूर होती हैं।
कुंडली में गुरु के साथ राहु या केतु का संयोग होता है तो उसे गुरु चांडाल योग कहा जाता है। इसके प्रभाव से शादी में बाधा आ सकती है।
विवाह भाव में सूर्य ग्रह का प्रभाव होने से भी शादी में देरी होती है। इसके दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए सूर्य की पूजा करना शुरू कर दें।
ज्योतिष में सप्तम भाव को शादी का कारक माना जाता है। इस भाव के कमजोर या अशुभ स्थिति में होने से विवाह संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
दरअसल, यह मंगल दोष का ही एक प्रकार होता है। जब मंगल ग्रह कुंडली में किसी विशेष स्थिति में होता है तो शादी में देरी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
यहां हमने जाना कि कुंडली में किन ग्रहों के कारण शादी में देरी होती है। ऐसी ही अन्य धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ Image Source: Freepik, Jagran, Canva