By Prakhar Pandey2023-04-06, 12:20 ISTnaidunia.com
पवनपुत्र
पवनपुत्र हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता हैं। आइए जानते हैं बजरंग बली के अमर होने की पूरी कहानी।
हनुमान जी
प्रभु श्रीराम के परम भक्त और शिव जी के सभी अवतारों में सबसे शक्तिशाली, बलवान और बुद्धिमान भगवान हनुमान सबसे रामायण के सबसे महत्वपूर्ण पात्र माने जाते हैं।
कथा
वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब हनुमान जी लंका में सीता मां को ढूंढने गए तो बहुत ढूंढने पर भी वो उन्हें नहीं मिली। एक समय हनुमान जी को यह लगने लगा था कि कहीं सीता मां मृत तो नहीं हो गई हैं।
अमर
फिर अपनी पूरी शक्ति के साथ जब भगवान हनुमान जी ने माात सीता को ढूंढा तो वह उन्हें मिल अशोक वाटिका में मिली। जिसके पश्चात ही मां ने उन्हें अमर होने का वरदान दिया।
अष्ट सिद्धि नो निधि के दाता
हनुमान चालीसा में लिखित इस पंक्ति का अर्थ हैं कि बजरंग बली को माता सीता से ऐसा वरदान मिला हुआ हैं जिससे वो आठों सिद्धियां और नौ निधियां पा सकते हैं।
श्रीराम
श्रीराम द्वारा अपने प्राण त्यागने के पश्चात हनुमान जी ने सीता मां से यह वरदान वापस लेने को कहां। हनुमान जी ने सीता मां से कहां कि प्रभु श्रीराम के बिना इस धरती पर हनुमान का क्या काम।
सिमरन
माता सीता के सिमरन के बाद जब भगवान राम प्रकट हुए तो उन्होंने हनुमान जी को गले लगाया और कहां कि तुम्हें अभी धरती पर राम का नाम लेने वाले लोगों को बेड़ा पार करना हैं।
अमरता का वरदान
इसीलिए हनुमान जी को अमरता का वरदान मिला हैं। बजरंग बली श्रीराम की इस आज्ञा का पालन करते हुए हमेशा हमेशा के लिए धरती पर हैं।
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