मृत्यु जीवन का वो सत्य है जिसका सामना हर व्यक्ति को अंत में करना ही पड़ता है। आइए जानते है कि मृत्यु के समय किस प्रकार व्यक्ति यमराज को देखता है?
यमराज सूर्य जी के पुत्र हैं, हिंदू धर्म में इन्हें मृत्यु का देवता भी कहा जाता हैं। वेदों में भी इनका वर्णन पाया जाता है, यह भैंसे पर सवार होकर आते है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मृत्यु के पश्चात यम के दूत व्यक्ति को यमलोक ले जाते है। वहां यमराज व्यक्ति की आत्मा को उसके कर्मों का फल देते है।
यम के लोक में व्यक्ति के कर्मों के आधार पर यमराज उसे स्वर्ग या नर्क लोक में भेजते है। नरक के स्वामी ही इस बात का अंतिम फैसला करते है कि किस आत्मा को कहां भेजना है।
गरुण पुराण के अनुसार, यमराज के महल कालित्री में उनका विचार-भू सिंहासन स्थित है। यमलोक पृथ्वी से 86 हजार योजन यानी लगभग 12 लाख किलोमीटर दूर है।
गरुण पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि यमलोक बेहद डरावना है। यहां पर आत्माओं को उनके कर्म के हिसाब से तरह-तरह की यातनाएं दी जाती है।
यमलोक के 4 दरवाजे होते है। पूर्वी द्वार से धर्मात्मा और पुण्यात्माओं को प्रवेश मिलता है जबकि पापियों को दक्षिण द्वार से प्रवेश मिलता है। जहां उन्हे कर्म के अनुसार यातनाएं दी जाती है।
यमलोक के उत्तर द्वार से साधु-संतों को प्रवेश मिलता है। पश्चिम द्वार से दान-पुण्य और लोगों की भलाई करने वाले व्यक्ति की आत्मा को प्रवेश मिलता है।