भारतीय ज्योतिष में राहु और केतु को एक छाया ग्रह माना गया है। कुंडली में राहु और कालसर्प दोष होने पर जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, राहु दोष होने पर गोमेद रत्न धारण करना शुभ होता है। यह ग्रह निर्माण, उन्नति, विदेश की यात्रा आदि को प्रभावित करने वाला ग्रह है।
यदि आप ऊंचे पद पर हैं और पद-प्रतिष्ठा में किसी तरह की बाधा आ रही है तो कालसर्प दोष या राहु दोष हो सकता है। ऐसे में गोमेद धारण करना शुभ होता है।
यदि ग्रह दोष के कारण मानसिक हालत ठीक नहीं रहती है और खुद को संभाल पाने की स्थिति में नहीं पाते हैं तो भी गोमेद रत्न धारण करना शुभ फल देता है।
शत्रुओं और विरोधियों पर विजय पाने और निराशा भरे माहौल से बाहर निकलने में भी गोमेद रत्न मदद करता है। गोमेद आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
गोमेद रत्न को आद्रा ,शतभिखा और स्वाति नक्षत्र में ही चांदी के अंगूठी में 5 से 6 रति का गोमेद रत्न शनिवार को मध्यमा उंगली में संध्याकाल में धारण करना चाहिए।
गोमेद रत्न धारण करते समय जातक को ‘ॐ रां राहवे नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।