ठंड, बारिश, किसी भी तरह का शारीरिक, मानसिक या भावनात्मक तनाव अस्थमा में ट्रिगर का काम करता है।
अस्थमा रोगियों को लग रहा है कि दिक्कत बढ़ रही है, तो रिलीवर दवा का डोज बढ़ा सकते हैं।
बहुत जोर से रोने या हंसने पर भी अस्थमा का अटैक आ सकता है। इसलिए सदैव सीमा में रहकर व्यवहार करना चाहिए।
अस्थमा के मरीजों को डाक्टर दो तरह की दवाओं की डोज की सलाह देते हैं। लेकिन जांच पड़ताल कर लें।
अस्थमा का अटैक आने पर रिलीवर तथा अटैक को रोकने के लिए प्रिवेंटर डोज दिया जाता है।
अस्थमा के रोगी को यदि भीड़ वाली जगह जैसे रेलवे स्टेशन जाना है। रिलीवर वाला एक अतिरिक्त डोज ले सकते हैं।
अस्थमा मरीज हेलमेट लगाएं, सादे पानी से बार-बार आंख, मुंह, कान धोते रहें।
रोगी स्वयं आंकलन करे कि किस तरह के खानपान से उन्हें तकलीफ होती है, उसे छोड़ दें।
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