40 फीट जैतखाम को मजबूत आधार देने के लिए जमीन के नीचे 15 फीट तक और जमीन के उपर 25 फीट तक बनाया गया है।
सतनामी समाज के लिए श्रद्धा-आस्था का केंद्र राजधानी में 150 से अधिक जैतखाम। प्राय: हर वार्ड में दो से तीन जैतखाम
रायपुर से लगे बलौदाबाजार जिला के गिरौदपुरी में विश्व का सबसे ऊंचा जैतखाम है। इसकी ऊंचाई दिल्ली के कुतुबमीनार की ऊंचाई से भी अधिक है।
सामान्यत: 21 हाथ लंबी एवं गोलाकार वाली एक ही सरई लकड़ी से बनाया जाता है। इसमें अलग-अलग लकड़ियों को नहीं जोड़ा जाता।
गुरु घासीदास बाबा की जयंती पर पवित्र जैतखाम पर पुराने ध्वज को उतारकर नया सफेद ध्वज चढ़ाते हैं। इसे पालो चढ़ाना कहा जाता है।
लकड़ी का एक तिहाई हिस्सा जमीन के भीतर गाड़कर बनाया जाता है चबूतरा, सात हाथ लंबे बांस के डंडे पर आयताकार सफेद ध्वज फहराया जाता है।