इस दिन कालभैरव की पूजा करने से आर्थिक उन्नति होती है। साथ ही पाप ग्रह कभी परेशान नहीं करते हैं।
कालभैरव को नारियल, गेरुआ सिंदूर, पान का पत्ता चढ़ाएं। इससे शनि, राहु-केतु की परेशानी दूर होती है।
कालभैरव को प्रसन्न करने के लिए विशेष रूप से काले कुत्ते को खाना खिलाएं। इससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
अष्टमी तिथि 16 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 17 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 2 मिनट तक रहेगी।