हर साल कार्तिक मास की एकादशी को श्याम बाबा का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इसी दिन देवउठनी एकादशी का पर्व भी होता है।
श्री खाटू श्याम बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है। जन्मोत्सव के मौके पर भक्त उनकी पूजा-अर्चना करने के साथ ही भोग भी लगाते हैं।
राजस्थान में स्थित खाटू श्याम के मंदिर में भक्त जन्मोत्सव के दिन भी दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि उनके दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, खाटू श्याम बाबा का संबंध महाभारत काल से है। ऐसा उल्लेख है कि श्याम बाबा पांडु के पुत्र भीम के पौत्र थे।
पौराणिक कथा में बताया गया है कि बर्बरीक महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने के लिए रवाना हो गए थे। उन्होंने भगवान कृष्ण से अनुमति मांगी, लेकिन श्री कृष्ण परिणाम पहले से ही जानते थे।
श्री कृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए शीश का दान मांगा। बर्बरीक ने भी बगैर समय लगाएं भगवान कृष्ण को दान में सिर दे दिया।
बर्बरीक के बलिदान से कृष्ण प्रसन्न हो गए और उन्होंने वरदान दिया कि कलयुग में लोग बर्बरीक को खाटू श्याम बाबा के नाम से जानेंगे।
शास्त्रों में उल्लेख है कि श्री कृष्ण के वरदान के बाद से ही लोग खाटू श्याम बाबा का पूजन करने लगे। बता दें कि श्री कृष्ण ने यह भी कहा था कि उनके जैसा दानी धरती पर न हुआ है और न ही होगा।