वैदिक ज्योतिष में मन के कारक चंद्रमा को काफी महत्व दिया गया है। इसी के स्थिति के आधार पर राशि तय होती है।
चंद्रमा कर्क राशि का स्वामी है जो व्यक्ति की कुंडली में, जातक की माता और मानसिक शांति का कारक होता है।
चंद्रमा की गोचर की अवधि सबसे कम, तकरीबन सवा दो दिन की होती है। लेकिन गोचर में इसका काफी महत्व है।
मान्यता है कि चंद्र देव, जिन्हें सोम भी कहा जाता है, ने ही पहले ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी। ये सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध है।
चंद्र देवता की शुभता पाने के लिए सावन के महीने में या सालों भर सोमवार के दिन व्रत रखें और शिवलिंग पर दूध चढ़ायें।
कुंडली में चंद्रमा की शुभता के लिए पूर्णिमा के दिन व्रत रखने, चंद्रमा के दर्शन और पूजन करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
चंद्रमा अशुभ भाव में हो, तो सफेद वस्त्र, सफेद पुष्प, चावल, दूध, चांदी, आदि का दान करने से उनकी शुभता प्राप्त होती है।
मोती को चंद्रमा का शुभ रत्न माना गया है। चंद्रमा को बल देने के लिए चांदी की अंगूठी में मोती धारण करने से लाभ मिलता है।