सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित है। इसका प्रारंभ भी श्रवण नक्षत्र से होता है और सूर्य दक्षिणायन होते हैं।
ज्योतिष में भी भगवान शिव के रुद्राभिषेक का काफी महत्व है। दरअसल शिव परिवार में समस्त ग्रह समाहित हैं।
ग्रहों के राजा सूर्य स्वयं महादेव हैं। ऐसे में भगवान शिव की आराधना से सूर्य से जुड़े दोष दूर होते हैं।
भगवान शिव के शीश पर चंद्रमा विराजित हैं। शिव के पूजन से चंद्रमा भी प्रसन्न होते हैं।
शिव के पुत्र कार्तिकेय, स्वयं मंगल हैं। इसलिए शिव के पूजन से कार्तिकेय का आशीर्वाद भी मिलता है।
भोलेनाथ के दूसरे पुत्र गणेश हैं, जो बुद्धि के देवता हैं। ये बुद्ध का प्रतिनिधित्व करते हैं और शिव के पूजन से प्रसन्न होते हैं।
माता पार्वती, शुक्र का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनकी पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है।
राहु-केतु सर्प का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो शिव के गले का आभूषण हैं। शिव के भक्तों को ये परेशान नहीं करते।
इसलिए माना जाता है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करने से समस्त ग्रह शांत, प्रसन्न एवं संतुष्ट हो जाते हैं।