बच्चों के विकासशील अवस्था में रोग प्रतिरोधक क्षमता थोड़ी कमजोर होती है। ऐसे में Rheumatic fever के संक्रमण का खतरा बना रहता है।
मौसमी संक्रमण के कारण होने वाले Rheumatic fever से बच्चों को सर्दी, खांसी और बुखार हो सकता है, जिस कारण बच्चों के दिल पर बुरा असर पड़ता है।
रूमेटिक फीवर 5-14 वर्ष के बच्चों में होता है। इस रोग में बच्चों के दिल का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। यह दिल की धमनियों को क्षतिग्रस्त कर देता है।
Rheumatic fever स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया के कारण होता है, जो गले को प्रभावित करता है। इससे दिल और दिमाग की कोशिकाएं प्रभावित होती हैं।
बुखार के कारण इम्युनिटी सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। सांस फूलना, जोड़ों में दर्द और सूजन होना, उल्टी होना, नाक से खून आने के साथ ही छाती में दर्द होता है।
स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। इसलिए संक्रमित रोगी से दूरी बनाकर रखना चाहिए। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
रूमेटिक फीवर का इलाज लंबे समय तक चलता है। उन रोगियों के उपचार में ज्यादा समय लग सकता है, जिनके हृदय में सूजन हो। एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं दी जाती हैं।