समुद्र मंथन के दौरान फाल्गुन माह की पूर्णिमा को लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं, इस वर्ष उनका प्रकटोत्सव 7 मार्च को मनाया जाएगा।
माता लक्ष्मी के पूजन के साथ लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्रम के पाठ करें। लक्ष्मी जी के 1008 नामों के साथ हवन करें।
इस दिन श्री सूक्तम का पाठ करें या सुनें, लक्ष्मी जी को मिठाई का भोग लगाएं और कमल पुष्प अर्पित करें।
मान्यता है कि लक्ष्मी जी दक्षिण दिशा की ओर से आती हैं, इसलिए लक्ष्मी प्रकटोत्सव के दिन दक्षिण की ओर दीपक रखना चाहिए।
आदि शंकराचार्य द्वारा रचित कनकधारा स्त्रोत का पाठ करने से भी माता लक्ष्मी शीघ्र प्रसन्न होती हैं और भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
अष्ट लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करें, इससे आदि लक्ष्मी, धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, जय लक्ष्मी और विद्या लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।