शिव पुराण के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें।
गं गणपते नमः, ॐ सोमाय नमः गणपतिसंकटनाशनस्रोत का पाठ करें सुनेंगे प्रथम देव
प्रथम पूज्य भगवान गणेशजी चतुर्थी तिथि के स्वामी हैं। प्रत्येक मास में दो चतुर्थी आती हैं। दोनों में करें मन से पूजन।
पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
कभी कोई कष्ट या कोई समस्या है | कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सुबह ॐ सुमुखाय नम:, ॐ दुर्मुखाय नम:, ॐ मोदाय नम:, ॐ प्रमोदाय नम:, ॐ अविघ्नाय नम:, ॐ विघ्नकरत्र्येय नम: बोलें।