मन की चंचलता से हर कोई परिचित है। अक्सर लोग बैठे-बैठे कहीं और के ख्यालों में खो जाते हैं। इसे ही मन का विचलित होना कहते हैं।
भगवान कृष्ण ने भगवद्गीता में जीवन से जुड़े कई जरूरी उपदेश दिए हैं, जो अर्जुन के अलावा सभी के काम आते हैं। मन को नियंत्रित करने के भी उन्होंने उपाय बताए हैं।
भगवान कृष्ण का कहना है कि हमें अपने भटकते मन को शांत करने के लिए ध्यान लगाना और मेडिटेशन करना जरूरी है।
मेडिटेशन और ध्यान का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में विचार आता है कि इसका मतलब आंख बंद कर बैठना नहीं होता है। इसका सही अर्थ होता है किसी चीज पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करना।
भगवान कृष्ण का कहना है कि अपने मन को नियंत्रित करने के लिए वैराग्य भाव को लाना होगा। इससे आपके मन का भटकाव दूर हो जाएगा।
वैराग्य मतलब यह नहीं है कि आप सब कुछ छोड़कर जंगल चले जाएं। इसका सही अर्थ होता है कि आप जो काम कर रहे हैं उसके परिणाम की चिंता भूलकर भी ना करें।
श्री कृष्ण का यह भी कहना है कि आपका मन जितनी बार दूर भागता है आप उसे फिर से पकड़ कर लाएं। मन को अपने जरूरी काम में लगाने की पूरी कोशिश करें।
यदि आपका मन छोटी-छोटी बातों पर भटकने लगता है तो आपको इसे प्यार से समझाने की जरूरत होगी। सबसे जरूरी है कि अपने ऊपर भरोसा रखें।