गिद्धराज जटायु और भगवान राम से जुड़ी एक घटना में जटायु की मृत्यु के पश्चात भगवान राम उनका अंतिम संस्कार करते है। आइए जानते है जटायु के अंतिम संस्कार से जुड़े रोचक किस्से के बारे में।
सीता हरण के दौरान रावण को जटायु ने रोकने का प्रयास किया था। इस प्रयास में रावण से युद्ध करते हुए जटायु बुरी तरह से घायल हो गया था।
जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नामक एक स्थान पर हुई थी। इस स्थान को सर्वतीर्थ कहा जाता है। इसी स्थान पर जटायु ने मरणासन्न स्थिति में भगवान राम को सीता जी के बारे में बताया है।
श्रीराम ने जटायु को गोदावरी नदी के तट पर अंतिम संस्कार किया था। जटायु के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए श्रीराम ने उनका श्राद्ध अपने पिता के साथ किया था।
हिरण मारीच के मरने के बाद जब भगवान श्रीराम और लक्ष्मण अपनी कुटिया में जाकर सीता माता को न पाकर काफी दुखी होते है। इसके बाद व जंगल और नदी के किनारे मां जानकी की तलाश करने पहुंचते है तो उन्हें जटायु मिलता है।
गिद्धराज जटायु को श्रीराम ने उन्हें गोद में ले लेते है। जब जटायु श्रीराम को माता सीता के अपहरण की सूचना देते है। जटायु बताते है कि माता जानकी का रावण ने अपहरण कर लिया था।
जटायु श्रीराम को माता सीता के अपहरण के बारे में बताते हुए प्राणहीन हो जाते है। जटायु के शरीर छोड़ने पर प्रभु श्रीराम की आंखों से आंसू बहने लगते है।
गिद्धराज जटायु का अंतिम और पितृ संस्कार स्वयं श्रीराम ने किया था। गोदावरी के तट पर उन्होंने अपने पिता के साथ ही जटायु के भी सभी आवश्यक पितृ संस्कार खुद ही पूरे किये थे।