भगवान सूर्य करेंगे समस्त इच्छाओं की पूर्ति,दुःस्वप्ननाशक सूर्यस्तुति


By Manoj Kumar Tiwari2023-02-26, 08:43 ISTnaidunia.com

सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं

नारायण के स्वरूप है धरा धाम को पोषित करने वाले हैं ग्रहों के राजा हैं समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। ऋग्वेद कहा गया ओम् श्रीसवितृ सूर्यनारायणाए नमः।

सूर्य उपासना से जीवन में

मिलता है आत्मविश्वास,आरोग्यता,परीक्षा में सफलता,नौकरी पाने का योग,व्यापार वृद्धि,धन प्राप्ति के लिए सूर्यनारायण की विधीवत् पूजा करनी चाहिए। रविवार को सूर्यउद्य से पूर्व उठना चाहिए।

कौन हैं सूर्यनारायण

ऋग्वेद में उन्हें ही विष्णु और नारायण के नाम से संबोधित भी किया जाता रहा है। साक्षात भगवान विष्णु ही है सूर्य,प्रत्येक दिन हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए। प्रार्थना से ही प्रसन्न हो जाते हैं नारायण।

इन मंत्रों का करें जप

ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य,ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः,ॐ सूर्याय नम:,ॐ घृणि सूर्याय नम:, ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा। ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते।

माला में जप

संकल्प कर कोई भी मंत्र हो प्रत्येक दिन माला से एक माला जप का नियम ले,एक आसन एक माला एक मुद्रिका इसको कभी परिवर्तित नहीं किया जाता है किसी अन्य को नहीं देना चाहिए तभी सिद्धि मिलती है।

जप विधि

जप करते समय लाल कलर का आसान हो पंचपात्र हो रुद्राक्ष की माला सूर्योदय से पूर्व उठे स्नान के बाद जप करें। सूर्योदय के समय एक लोटा जल को तीन बार थोड़ा-थोड़ा जल गिराते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।

रोग नाश के लिए

सूर्य की उपासना नहीं करता है,उसका शरीर विभिन्न प्रकार के रोगों का केंद्र बन जाता है,इसलिए सूर्य को महाप्राण भी कहते हैं।सूर्य से ही जीवन संचालित होता है। उदित और अस्त के समय करे सूर्य की उपासना करें।

दुःस्वप्ननाशक सूर्यस्तुति

आदित्यः प्रथमं नाम, द्वितीयं तु दिवाकरः। तृतीयं भास्करं प्रोक्तं,चतुर्थं च प्रभाकरःपंचमं च सहस्त्रांशु,षष्ठं चैव त्रिलोचनःसप्तमं हरदिश्वश्च अष्टमं च विभावसुः।

दुःस्वप्ननाशक सूर्यस्तुति

नवमं दिनकृत प्रोक्तं, दशमं द्वादशात्मकः। एकादशं त्रयीमूर्त्तिर्द्वादशं सूर्य एव च। द्वादशैतानि नामानि प्रातःकाले पठेन्नरः।दुःस्वप्ननाशनं सद्यः सर्वसिद्धि प्रजायते।।

सूर्य देव को जल अर्पित करते समय रखें इन बातों का ध्यान