पुराणों में कहा गया है कि कुछ विशेष सामग्री चढ़ाने से भगवान शिव अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।
भगवान शिव की पूजा में जल यानि पानी का विशेष महत्व है। शिवलिंग पर पूरी श्रद्धा से जल से अभिषेक करना चाहिये।
भगवान शिव पर बेल अथवा बिल्व पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है। बेल पत्र को शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक कहा जाता है।
कहा गया है कि भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करना और एक करोड़ युवतियों का कन्यादान का फल एक जैसा होता है।
पंडितों के अनुसार धतूरा चढ़ाने का भी काफी महत्व है। इसे औषधि का प्रतीक भी माना जाता है।
कहा गया है कि भगवान शिव की पूजा में आंकड़े का फूल चढ़ाने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
भगवान शिव की पूजा में कपूर का बहुत महत्व है। कर्पूरगौरं करूणावतारं को भगवान शिव का प्रिय मंत्र कहा जाता है।
भांग को औषधि स्वरूप भी लिया जाता है। भगवान शिव को भांग अर्पित करने का भी महत्व है।
भगवान शिव को श्रद्धा के साथ दूध अर्पित करने से पुण्य फल मिलता है।
शिवलिंग पर अभिषेक और पूजा के दौरान चंदन अर्पित करना चाहिये। चंदन को शीतलता का प्रतीक कहा जाता है।
भगवान शिव को चावल भी अर्पित करना चाहिये। चावल को पूजा की अनिवार्य वस्तु माना जाता है। इससे ही पूजा को संपूर्ण माना जाता है।
भगवान शिव और रुद्राक्ष से जुड़े अनेक प्रसंग पौराणिक ग्रंथों में बताए गए हैं।
भस्म को पवित्रता का प्रतीक भी माना गया है। भगवान महाकाल की भस्मारती में शामिल होना हर श्रद्धालु अपना सौभाग्य मानता है।