Maha Shivratri: भोलेनाथ क्यों धारण करते हैं त्रिशूल, डमरू, सांप और चंद्र


By Abrak Akrosh16, Feb 2023 06:59 PMnaidunia.com

रज, तम और सत गुण का प्रतीक है त्रिशूल

सृष्टि की शुरुआत में ब्रह्रानाद से भगवान शिव प्रगट हुए। उनके साथ रज, तम और सत गुण भी प्रगट हुए। यही तीनों गुण शिवजी के तीन शूल यानी त्रिशूल बने।

ऐसे हुई डमरू की उत्पत्ति

भगवान श‌िव ने नृत्य करते हुए चौदह बार डमरू बजाए। इस ध्वन‌ि से व्याकरण और संगीत के धन्द, ताल का जन्म हुआ। इस प्रकार शिव के डमरू की उत्पत्ति हुई।

नागों के राजा वासुकी को मिला वरदान

पुराणों के अनुसार नागों के राजा नाग वासुकी भगवान शिव के परम भक्त थे। इसलिए भगवान शिव ने गले में आभूषण की तरफ हमेशा लिपटे रहने का वरदान दिया।

रक्षा करने चन्द्रमा को किया धारण

प्रजापति दक्ष के श्राप से बचने के लिए चन्द्रमा ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। चन्द्रमा की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उनके जीवन की रक्षा की और उन्हें अपने शीश पर धारण किया।

सभी अस्त्रों को चलाने में महारथ

मान्यता यह भी है कि कि भगवान शिव को सभी प्रकार के अस्त्रों के चलाने में महारथ हासिल है। उनके धनुष पिनाक को विश्‍वकर्मा ने ऋषि दधीचि की अस्थियों से तैयार किया था।

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