मध्य प्रदेश के उज्जैव में स्थित महाकालेश्वर मंदिर कई वजहों से प्रसिद्ध है। आइए जानते है महाकाली में होने वाली भस्म आरती से जुड़े रहस्यों के बारे में।
महाकालेश्वर मंदिर भस्म आरती के लिए भी जाना जाता है। हर रोज प्रात: महाकालेश्वर मंदिर में भस्म से श्रृंगार करके भोले बाबा की आरती होती है।
हर रोज रात से ही भक्त लंबी कतारों में लगकर भस्म आरती का इंतजार करते है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार देखकर भी लोग अचंभित रह जाते हैं।
उज्जैन में बना महाकालेश्वर मंदिर अपने रहस्यमयी कारणों के लिए भी जाना जाता है। भगवान शिव के कई स्वरुपों की पूजा की जाती है।
धार्मिक शास्त्रों में हर देवता का अलग महत्व होता है। भोले बाबा के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को हिरण के खाल और भस्म को धारण करते है। इस मंदिर में भगवान शिव के कई स्वरुपों की पूजा होती है। यह अघोरी रुप बेहद पूजनीय होता है।
महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती काफी अलग ढंग से की जाती है। आरती के समय सुबह 4 बजे का होता है। पिछले काफी समय से सुबह की भस्म आरती नहीं की जा रही हैं।
भगवान शिव ने दूषण नाम के राक्षस की चेतावनी दी लेकिन वो नहीं माना। उज्जैन की नगरी में राक्षस दूषण की तबाही देखकर महाकाल के रुप में प्रकट होकर दूषण को अपने गुस्से से भस्म कर दिया है।
मान्यता है कि महाकाल के ने दूषण के भस्म से ही अपना श्रृंगार किया था। इस प्रचलित कहानी के चलते ही महादेव का श्रृंगार भस्म से किया जाता है।