कहा जाता है कि भगवान भाव के भूखे होते है। अगर आप भोले बाबा के पास किसी कारण से उनके मंदिर नहीं जा पा रहे हैं तो सच्चे मन से उनकी प्रार्थाना करें। आइए जानते है बिना मंदिर गए कैसे प्राप्त करें भगवान शिव का आशीर्वाद?
आदि शंकराचार्य ने शिव मानस पूजा की संरचना की थी। अगर कोई शिवालय नहीं जा पा रहा है तो भगवान शिव मानस पूजा से भी प्रसन्न होते है।
मानस पूजा में मन में की गई शिव जी की पूजा है। मानस पूजा में भगवान शिव की स्तुति करते हुए उन्हें मन में ही उनकी सारी पसंदीदा चीजें उन्हें चढ़ाने से वह बेहद प्रसन्न होते है।
मान्यता अनुसार, अगर आप पूजा के दौरान शारीरिक रुप से भले ही क्यों न पूजा स्थल पर मौजूद, लेकिन अगर आपका दिमाग कही और है तो इसका फल नहीं मिलता है। श्री शिवमानस पूजा के दौरान यह स्तुति जपनी चाहिए।
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं, नानारत्नविभूषितं मृगमदामोदाङ्कितं चन्दनम् । जातीचम्पकबिल्वपत्ररचितं पुष्पं च धूपं तथा, दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितं गृह्यताम् ॥ 1 ॥
सौवर्णे नवरत्नखण्डरचिते पात्रे घृतं पायसं, भक्ष्यं पञ्चविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम् ।, शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं ताम्बूलं, मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु ॥ 2 ॥
छत्रं चामरयोर्युगं व्यजनकं चादर्शकं निर्मलं, वीणाभेरिमृदङ्गकाहलकला गीतं च नृत्यं तथा ।, साष्टाङ्गं प्रणतिः स्तुतिर्बहुविधा ह्येतत्समस्तं मया, सङ्कल्पेन समर्पितं तव विभो पूजां गृहाण प्रभो ॥ 3 ॥
आत्मा त्वं गिरिजा मतिः सहचराः प्राणाः शरीरं गृहं, पूजा ते विषयोपभोगरचना निद्रा समाधिस्थितिः ।, सञ्चारः पदयोः प्रदक्षिणविधिः स्तोत्राणि सर्वा गिरो, यद्यत्कर्म करोमि तत्तदखिलं शम्भो तवाराधनम् ॥ 4 ॥
करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा, श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम् ।, विहितमविहितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व, जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥ 5 ॥
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