स्वास्तिक बहुत शुभ माना जाता है, किसी भी शुभ कार्य से पहले घर में इसे बनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि स्वास्तिक बनाने से कार्यों में बाधा नहीं आती है।
स्वास्तिक में चार भुजाएं होती हैं जो एक-दूसरे के समानांतर होती हैं। ये भुजाएं चारों दिशाओं को दर्शाती हैं। बौद्ध धर्म में भी स्वास्तिक को शुभ और अच्छे कर्म का प्रतीक माना जाता है।
वास्तु के नियमों के अनुसार, घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर अष्टधातु या फिर तांबे का स्वास्तिक लगाना चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
वहीं, किसी शुभ कार्य में स्वास्तिक को बनाने के लिए रोली, हल्दी और सिंदूर का उपयोग करना चाहिए। इनका उपयोग करने पर देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।
घर में स्वास्तिक बनाने से वास्तु दोष दूर होता है और सुख-समृद्धि आती है। इसके साथ ही कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
हालांकि स्वास्तिक बनाने के कुछ नियम भी बताए गए हैं, जिनके मुताबिक स्वास्तिक बनाने के लिए लाल या पीले रंग का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
वहीं स्वास्तिक बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि यह अशुद्ध जगह पर न बना हो। इसके साथ ही इसे गंदे स्थान पर भी नहीं बनाना चाहिए।
गलत स्थान पर स्वास्तिक बनाने से आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए इसे स्वच्छ और पवित्र स्थान पर ही बनाना चाहिए।
स्वास्तिक बनाने से घर का वास्तु दोष दूर होता है। धर्म और आध्यात्म से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें Naidunia.Com