सर्दी-जुकाम जैसी साधारण बीमारियों के लिए भी हम काफी परेशान हो जाते हैं और डाक्टर के यहां दौड़ लगाते है। इसका मुख्य कारण यह है कि हमारे किचन में जो चीजें मौजूद हैं, उनके गुणों के बारे में हमें नहीं पता।
प्रकृति का अनुपम उपहार जायफल है इसे हम मसाले में तो प्रयोग करते हैं,लेकिन इसके और भी औषधीय गुण हैं,यह जानना जरूरी है। इसकी 80 जातियां हैं,भारत,आस्ट्रेलिया तथा प्रशांत महासागर के द्वीपों पर उपलब्ध हैं।
के बीज को जायफल कहते हैं। इस वृक्ष का फल छोटी नाशपाती के रूप का एक इंच से डेढ़ इंच तक लंबा,हल्के लाल या पीले रंग का गूदेदार होता है। पकने पर फल दो खंडों में फट जाता है।
भीतर सिंदूरी रंग की जावित्री दिखाई देने लगती है। जावित्री के भीतर गुठली होती है, जिसके कड़े खोल को तोड़ने पर भीतर से जायफल प्राप्त होता है। यह औषधीय गुणोें से परिपूर्ण रहता है।
जायफल घिसकर उस पानी का सेवन करें व नाभी पर लेप लगाने से दस्त आने बंद हो जाते हैं। मुहांसे होने पर जायफल को दूध में घिसकर चेहरे पर लेप लगाने से मुहांसे समाप्त हो जाते हैं।
जायफल अमाशय के लिए उत्तेजक होने से अमाशय में पाचक रस बढ़ता है, जिससे भूख लगती है। आंतों में पहुंचकर वहां से गैस हटाता है।
सुबह-सुबह खाली पेट आधा चम्मच जायफल चाटने से गैस्ट्रिक,सर्दी-खांसी की समस्या नहीं सताती है। पेट में दर्द होने पर चार से पांच बूंद जायफल का तेल चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।
सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो बस जायफल को पानी में घिस कर लगाएं। आराम मिलने लगेगा।
जायफल को थोड़ा सा खुरचिए,चुटकी भर कतरन को मुंह में रखकर चूसते रहिए। यह काम आप पूरे जाड़े भर एक या दो दिन के अंतराल पर करते रहिए। शरीर की स्वाभाविक गर्म कर सर्दी से रक्षा करता है।