कई बार लोग जाने अनजाने में कई ऐसे पाप कर जाते हैं, जिनका कोई परायश्चित नहीं होता है। ऐसे पाप इंसान के दुर्गति का कारण बनते हैं।
वृंदावन के मशहूर प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि इंसान को उन सभी बुरी आदतों का त्याग करना चाहिए, जो दुर्भाग्य या दुर्गति का कारण बनता हो।
अपने मुंह से खुद की तारीफ करने वाले लोग अपनी बुद्धि का नाश खुद करते हैं। साथ ही उनके पुण्य भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए ऐसा न करें।
छल, कपट और लालच करने वाले लोगों का जीवन में सुख ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता है। लालच इंसान को नष्ट कर देता है। उसका सारा सुख छीन लेता है।
थोड़ा सा अपमान होने पर यदि बहुत ज्यादा क्रोध आने लगे तो यह आपके विनाश का कारण बन सकता है। मन में द्वेष कभी न आने दें।
थोड़ा सा अपमान होने पर यदि बहुत ज्यादा क्रोध आने लगे तो यह आपके विनाश का कारण बन सकता है। मन में द्वेष कभी न आने दें।
यदि कोई पशु, पक्षी या मनुष्य आपकी शरण में आए तो निश्चित ही आपको उसकी रक्षा करनी चाहिए। ऐसा न करने वाले लोगों के पुण्य नष्ट हो जाते हैं।
यदि कोई इंसान उत्साहित या प्रेरित होकर पाप कर रहा है तो ऐसे इंसान की दुर्गति होना निश्चित है। ऐसे लोगों को ईश्वर कभी क्षमा नहीं करते हैं।
खुद को तेज़ और दूसरों को नीच कहने वाले लोग कभी ऊपर नहीं उठ सकते हैं। जो इंसान विषमता पर विजय प्राप्त करता है, वही भगवत प्राप्ति का अधिकार है।