भगवान राम को पुरुषोत्तम राम कहा जाता है। इसका अर्थ निकलता है कि श्री राम को सभी पुरुषों में उत्तम माना गया हैं। चलिए जानते हैं राम जी के गुणों के बारे में।
रामायण को पढ़ने या देखने के बाद पता चलता है कि श्री राम में धैर्य की कमी नहीं है। भगवान राम के इस गुण को अपनाने से आप जीवन की सभी परेशानियों का सामना कर सकते हैं।
मित्रता निभाने का तरीका भी आप श्री राम से सीख सकते हैं। भगवान राम ने केवट, सुग्रीव और विभीषण के साथ अच्छे से मित्रता निभाई।
श्री राम को बेहतरीन पुत्र भी माना जाता है। भगवान राम से यह सीखा जा सकता है कि पिता की आज्ञा का पालन बगैर किसी सवाल किए करना होता है।
आज के समय में भाई-भाई के बीच खूब झगड़े देखने को मिलते हैं। हालांकि, एक आदर्श भाई कैसा होता है इसके लिए आप श्री राम का व्यवहार उनके भाईयों के साथ देख सकते हैं।
माना जाता है कि इंसान के अंदर दयालुता जरूर होनी चाहिए। भगवान राम ने राजा होने के बाद भी समय-समय पर सुग्रीव, हनुमान और केवट को नेतृत्व करने का अधिकार दिया।
इंसान के स्वभाव में प्रेम भी जरूर होना चाहिए। श्री राम के अंदर की प्रेम भावना ही उन्हें पुरुषोत्तम श्री राम बनाती है। भगवान राम ने पशु-पक्षी से लेकर भक्तों के प्रति प्रेम की भावना दिखाई है।
हम सभी के व्यक्तित्व में प्रभु राम का यह गुण होना चाहिए। दरअसल, श्री राम अपने गुरुजनों और माता-पिता को हमेशा सम्मान दिया।