तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में कई ऐसे चौपाईयों का वर्णन है जिसमें न सिर्फ प्रभु की महिमा का वर्णन है जबकि उसके जाप से प्रभु श्रीराम भी काफी प्रसन्न होते है। आइए जानते है रामचरितमानस की चौपाईयों के बारे में।
रामचरितमानस में मौजूद दोहे और चौपाइयों से मानव मात्र को प्रेरणा मिलती है। इस ग्रंथ में मनुष्य की हर समस्या का समाधान मिल सकता है।
नियमित रूप से रामचरितमानस के पाठ से प्रभु श्रीराम की कृपा बनी रहती है। साथ ही, भगवान हनुमान भी बेहद प्रसन्न होते है।
हरि अनंत हरि कथा अनंता।, कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥, रामचंद्र के चरित सुहाए।, कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥ तुलसीदास जी कहते हैं कि प्रभु श्री राम अर्थात ईश्वर अनंत है न उनका कोई आदि है और न ही अंत।
जा पर कृपा राम की होई ।, ता पर कृपा करहिं सब कोई ॥, जिनके कपट, दम्भ नहिं माया ।, तिनके हृदय बसहु रघुराया ॥ इस चौपाई के अनुसार, जिन पर प्रभु श्री राम की कृपा बरसती है, उस व्यक्ति को सांसारिक दुख छू भी नहीं सकते
‘तुलसी’ काया खेत है, मनसा भयो किसान।पाप-पुन्य दोउ बीज हैं, बुवै सो लुनै निदान।। तुलसीदास के मुताबिक, मनुष्य का शरीर एक खेत की तरह है और मन इस खेत का किसान है। किसान जैसे बीज खेत में बोता है वैसा ही फल उसे मिलता है।
आवत हिय हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह।‘तुलसी’ तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह।। तुलसीदास जी के अनुसार, जिस घर में जाने पर घर के लोग प्रसन्न न हो उस घर में नहीं जाना चाहिए।
श्रीरामचरितमान गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित प्रसिद्ध महाकाव्य है। श्रीरामचरितमानस मर्यादा पुरुषोत्तम राम है और इसकी भाषा अवधी है। इसे 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है।
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